- 11-15 सितंबर 1967 को नाथू ला और अक्टूबर में चो ला में भारत और चीन के सैनिकों के बीच टकराव हुआ था
- 1967 में टकराव की वजह चीन का भारतीय सीमा में गड्ढा खोदना था, भारतीय जवानों ने चीनी कमांडर से ऐसा न करने के लिए कहा था
दैनिक भास्कर
Jun 16, 2020, 02:47 PM IST
1962 में भारत और चीन के बीच जंग का नतीजा भले ही चीन की तरफ रहा था, लेकिन इसके 5 साल बाद ही भारत ने चीन को सबक सिखा दिया। सिक्किम में सितंबर और अक्टूबर में भारत और चीन सेना के बीच दो झड़पें हुईं। भारत के मुताबिक, इसमें चीन के 340 सैनिक मारे गए और 450 घायल हुए। भारत के 88 जवान शहीद हुए।
चीनी सैनिकों की तरफ से हमला होने के बाद भारत ने जवाबी कार्रवाई की थी। 11-15 सितंबर 1967 को नाथू ला और अक्टूबर में चो ला में दोनों देशों के सैनिकों में टकराव हुआ था। चीनी रिपोर्ट के मुताबिक, 1967 में नाथू ला में झड़प के दौरान चीन के 32 और भारत के 65 सैनिक मारे गए थे। वहीं, चो ला झड़प में भारत के 36 सैनिक मारे गए। रिपोर्ट में चीनी सैनिकों की मौत की बात नहीं कही गई।
1967 में क्या था लड़ाई का कारण
चीन के सैनिकों ने 13 अगस्त 1967 को नाथू ला में भारतीय सीमा से सटे इलाकों में गड्ढा खोदना शुरू किया था। इस दौरान कुछ गड्ढे सिक्किम के अंदर खोदे जाते देख भारतीय जवानों ने चीनी कमांडर से अपने सैनिकों को पीछे हटने के लिए कहा। इसके बाद 1 अक्टूबर को नाथू ला से थोड़ी दूर चो ला में दोनों देशों के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई।
वाजपेयी चीनी दूतावास के बाहर भेड़ लेकर पहुंचे थे
1967 के भारत-चीन संघर्ष से जुड़ा एक दिलचस्प वाकया भी है। चीनी सैनिकों ने आरोप लगाया था कि भारतीय सैनिकों ने उनकी कुछ भेड़ें जबर्दस्ती अपने कब्जे में ले लीं। इस आरोप के विरोध में अटल बिहारी वाजपेयी ने दिल्ली स्थित चीनी दूतावास के आगे भेड़ों का एक झुंड उतार दिया था। वाजपेयी तब 43 साल के थे और सांसद थे।
45 साल पहले चीन बॉर्डर पर भारत के जवान शहीद हुए थे
20 अक्टूबर 1975 को अरुणाचल प्रदेश के तुलुंग ला में असम राइफल की पैट्रोलिंग पार्टी पर एम्बुश लगाकर हमला किया था। इसमें भारत के 4 जवान शहीद हुए थे।
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