मुंबई: महाराष्ट्र सरकार ने बंबई हाई कोर्ट में कहा कि भारतीय स्कूल परीक्षा प्रमाणपत्र (आईसीएसई) बोर्ड को कोविड-19 की स्थिति को देखते हुए जुलाई में कक्षा दसवीं और बारहवीं की लंबित परीक्षाएं आयोजित करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है. सरकार ने कहा कि उसने इस महामारी के आलोक में राज्य में अंतिम वर्ष के विद्यार्थियों के लिए विश्वविद्यालय की अपनी परीक्षाएं भी नहीं कराने का निर्णय लिया है.
राज्य की ओर से महाधिवक्ता आशुतोष कुंभोकोनि ने मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति एसएस शिंदे की खंडपीठ से बात की है. उन्होंने कहा है कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की अध्यक्षता में राज्य आपदा प्रबंधन समिति ने मंगलवार को एक बैठक की जहां आईसीएसई बोर्ड को अपनी परीक्षाएं आयोजित नहीं करने देने का निर्णय लिया गया.
कोरोना के बढ़ते मामलो को देखते हुए परिक्षाएं कराने की अनुमति नहीं दी जा सकती
कुंभोकोनि ने कोर्ट में कहा कि राज्य सरकार कोविड-19 की वर्तमान स्थिति को ध्यान में रखते हुए दो जुलाई से आईसीएसई परीक्षाएं आयोजित करने की अनुमति नहीं दे सकती. आईसीएसई बोर्ड ने राज्य में दो जुलाई से 12 जुलाई तक अपनी लंबित परीक्षाएं आयोजित करने का निर्णय लिया था क्योंकि कोविड-19 महामारी के चलते मार्च में परीक्षाएं आयोजित नहीं करवायी जा सकी थीं.
मुंबई निवासी अरविंद तिवारी ने याचिका दायर करके जुलाई में परीक्षा कराने के बोर्ड के फैसले को चुनौती दी है और दावा किया है कि कोविड-19 के मामले अब भी बढ़ते जा रहे है. तिवारी ने कहा कि आईसीएसई के विद्यालयों द्वारा दिये गये ग्रेड और कराई गयी अंदरूनी परीक्षाओं में विद्यार्थियों की पहले के मूल्यांकन के आधार पर परीक्षा परिणाम घोषित करना उपयुक्त नहीं होगा. कोर्ट ने सोमवार को राज्य सरकार को इस मुद्दे पर अपना रूख स्पष्ट करने का निर्देश दिया था.
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