नई दिल्ली: दिल्ली में बेशक कोरोना के मामले कम होते जा रहे हैं, लेकिन कोरोना का कहर अब भी जारी है. कोरोना की वजह से अब भी मौत के मामले सामने आ रहे हैं. एक ऐसा ही मामला डॉक्टर की मौत का सामने आया है, जिसमें उनकी पत्नी ने अब ट्विटर के माध्यम से दिल्ली सरकार से मदद की गुहार लगाई है.
डॉक्टर का नाम जीआरवीआर रेड्डी था (उम्र 64 साल). वह तिलक नगर में अपना क्लीनिक चलाते थे. 13 जून को वह आखिरी बार क्लीनिक गए थे, जिसके बाद उन्हें कोरोना ने अपनी चपेट में ले लिया और 24 जुलाई को उनकी मौत हो गई. अब उनकी पत्नी अनीता है को इस बात की चिंता सता रही है कि घर के इकलौते कमाने वाले व्यक्ति की मौत के बाद आगे की जिंदगी कैसे चलेगी?
Sir, My name is Anita Reddy, wife of Dr. GRVR Reddy. My husband passed away on July24 due to COVID19 in Ganga Ram Hospital. He died on line of duty while dealing with Covid19 patients. He battled for life for 38days in hospitals.1/2 @ArvindKejriwal @msisodia @SatyendarJain
— Anita Reddy (@AnitaRe35168743) July 31, 2020
अनीता को सिर्फ अपनी ही नहीं बल्कि क्लीनिक में काम करने वाले कंपाउंडर की भी चिंता सता रही है, जो 26 सालों से उनके पति के साथ क्लीनिक पर काम रहा था लेकिन अब क्लिनिक बंद हो जाने के बाद उसका और उसके परिवार का क्या होगा? इस बीच अच्छी बात यह है की उनके ट्वीट पर सरकार ने प्रतिक्रिया करते हुए उन्हें फोन किया है और संभव मदद का आश्वासन दिया है.
जीवीआर क्लीनिक पर काम करने वाले सरजू सिंह रावत ने बताया कि जब कोरोना पीक पर था तो सभी क्लीनिक बंद थे. ऐसे में दिल्ली सरकार की तरफ से यह कहा गया कि प्राइवेट क्लीनिक खुलने चाहिए अगर ऐसा नहीं होता है तो उनका मेडिकल लाइसेंस कैंसिल किया जा सकता है. हमारे डॉक्टर साहब ने भी क्लीनिक खोलना शुरू कर दिया था. उनका कहना था कि जो हमारे मरीज हैं उनकी देखभाल भी जरूरी है. ऐसे में क्लीनिक पर आना जरूरी है.
रावत ने बताया कि डॉ रेड्डी पीपीई किट पहन कर मरीजों को देखते थे. 13 जून को वह आखरी बार क्लीनिक पर आए थे. 14 तारीख को उनको हल्का बुखार महसूस हुआ, 15 तारीख का संडे था और 16 जून को अचानक से उनकी सांस में तकलीफ हुई. इसके बाद उन्हें सहगल नर्सिंग होम में एडमिट करवाया गया. जहां पर उनकी हालत बिगड़ती चली गई, उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया. 11 जुलाई को उन्हें गंगाराम अस्पताल ले जाया गया. वहां पर भी वह लंबे समय तक वेंटिलेटर पर रहे और 24 जुलाई को उनकी मौत हो गई.
रावत ने बताया, “मैं लगभग 26 सालों से डॉक्टर साहब के साथ उनके कंपाउंडर के तौर पर काम करता हूं. अब मुझे भी इस बात की चिंता है कि आने वाले समय में मेरा और मेरे परिवार का गुजारा कैसे चलेगा, क्योंकि डॉ रेड्डी के परिवार में कोई और डॉक्टर नहीं है तो ऐसे में क्लीनिक भी बंद हो जाएगा. मेरी भी सरकार से यही गुजारिश है कि मेरे भविष्य के लिए भी कुछ मदद की जाए.”
वहीं डॉ रेड्डी की बेटी ने बताया, “मेरी मम्मी की तरफ से कल किया गया था. उसमें यही बात लिखी थी कि अब परिवार में कोई कमाने वाला नहीं है. मम्मी अकेली हैं. ऐसे में मदद की जाए क्योंकि मेरे पापा डॉक्टर थे और मरीजों की सेवा करते हुए इस बीमारी का शिकार हुए हैं. आज हमारे पास दिल्ली सरकार की तरफ से एक कॉल आया था और उन्होंने हमसे फादर के सर्टिफिकेट आदि मांगे हैं. हॉस्पिटल में इलाज के दस्तावेज भी मांगे है. हमने सब भेज दिया है. उन्होंने (सरकार) कहा है कि जो भी संभव प्रयास हो सकेगा, किया जाएगा, क्योंकि दिल्ली सरकार की अभी जो योजना है, उसमें सरकारी डॉक्टरों की मदद का विकल्प है. लेकिन इस मामले में जो भी संभव मदद हो सकेगी की जाएगी.”
वहीं डॉ रेड्डी की पत्नी अनीता ने कहा, “मैंने डॉ रेड्डी को कई बार क्लीनिक पर जाने से मना किया लेकिन वह सुनते ही नहीं थे. उनका कहना था कि मेरे मरीजों की देखभाल के लिए किसी की जरूरत है. इसलिए मेरा क्लीनिक पर जाना जरूरी है और इसी वजह से वह भी कोरोना के शिकार हो गए.”
अनिता ने कहा, “मेरी दो बेटियां हैं, जिनकी शादी हो चुकी हैं और अब मैं अकेली हूं. देखने वाला कोई भी नहीं है. अब घर का अकेला कमाने वाला भी नही बचा है. इसी बात की चिंता सताती है. आने वाले समय में मेरा क्या होगा? साथ ही मुझे क्लीनिक में असिस्टेंट के तौर पर काम कर रहे सरजू रावत की भी चिंता है. वह बहुत लंबे समय से हमारे साथ जुड़ा हुआ है, क्योंकि डॉक्टर का काम डॉक्टर ही कर सकता है. ऐसे में क्लीनिक बंद हो जाएगा. अब मैं इसे बाहर कैसे निकाल सकती हूं. यह जब छोटा था, तब से हमारे यहां रह रहा है. हमारे यहां बड़ा हुआ है. इसलिए सरकार से यह भी गुजारिश करती हूं कि इसका भी ध्यान रखा जाए और मदद की जाए क्योंकि इसके भी दो छोटे-छोटे बच्चे हैं.”
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